अभी हाल ही में 27 जुलाई को भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने देश के फिल्म निर्माताओं तथा डॉक्यूमेंट्री बनाने वालों को एक निर्देश जारी किया है जिसमें बताया गया है कि वेब तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों पर बहुत सी फिल्में बिना सेंसर बोर्ड की अनुमति के जारी की जा रही हैं जिनमें सेना की वर्दी तथा उनके चरित्र को नकारात्मक तथा गलत ढंग से केवल सस्ते मनोरंजन के उद्देश्य प्रस्तुत किया जा रहा है ! भविष्य में उपरोक्त निर्देश के अनुसार सेना पर फिल्म या डॉक्यूमेंट्री को किसी भी माध्यम पर दिखाने से पहले इसकी अनुमति रक्षा मंत्रालय से ली जानी चाहिए !उपरोक्त पत्र के बावजूद अभी-अभी धर्मा प्रोडक्शंस की एक फिल्म गुंजन सक्सैना– द कारगिल गर्ल का ट्रेलर सामने आया है जिसमें गुंजन सक्सैनाजिन्होंने 1999 में कारगिल युद्ध में लड़ाकू विमानों से दुश्मन के ठिकानों पर वार किया था के चरित्र को नकारात्मक रूप में प्रदर्शित किया है !जबकि यह फिल्म उन्हीं के चरित्र पर बनाई गई है ! इस बहादुर योद्धा ने अपनी जान की परवाह न करते हुए कारगिल की मुश्किल पहाड़ियों में लड़ाकू विमान को उड़ा कर दुश्मन के ठिकानों को ढूंढ ढूंढ करबर्बाद किया था इसके अलावा उन्होंने कारगिल में घायल सैनिकों को अस्पतालों में पहुंचाने मेंभी सहायता की थी !
गुंजन सक्सैना भारत की पहली लड़ाकू विमान उड़ाने वाली महिला पायलट थीऔर इनकी वीरता के लिए भारत सरकार ने इन्हें शौर्य वीर के पदक से सम्मानित किया था ! परंतु फिर भी हमारे फिल्म निर्माता एक वीरयोद्धा के चरित्र की गरिमा को उसके अनुसार चित्रित करने में असफल रहते हैं !आजकल सोशल मीडिया के युग में सेंसर बोर्ड की अनुमति के बगैर वेब तथा नेटफ्लेक्स जैसे चैनलों पर फिल्म रिलीज की जाती है ! धर्मा प्रोडक्शंस की तरह ही टीवी धारावाहिक तथा फिल्म निर्मात्री एकता कपूर ने सेना परआधारित एक फिल्म बिना सेंसर बोर्ड की अनुमति के वेब पर प्रदर्शित कर दी थी ! जिसमें सैनिकों की जीवन शैली को नकारात्मक और अनैतिक रूप में चित्रित किया हुआ था !
इस विषय की संवेदनशीलता को देखते हुए भारत सरकार ने शीघ्रता से कदम उठाते हुए इस प्रकार के अनियंत्रित फिल्म निर्माताओं पर लगाम लगाते हुए आदेश जारी किया है !जिससे भविष्य में कोई इस प्रकार की कोशिश ना कर सके ! इस प्रकार भारतीय सेना की उच्च परंपराएं तथा गरिमा की रक्षा हो पाएगी और सैनिकों का मनोबल उसी प्रकार ऊंचा रहेगा जैसे अभी तक है !यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए परम आवश्यक है !
उपरोक्त वीरता के उदाहरण भारतीय सेना के द्वारा लड़े हुए हर युद्ध में मिलते है ! क्योंकि भारतीय सेना उच्च आदर्शों तथा अपनी प्राचीन संस्कृति को अपना कर अपने सैनिक मूल्य तय करती है ! और उन्हीं के द्वारा मातृभूमि की रक्षा को धर्म युद्ध के रूप में लेती है ! इसके कारण भारतीय सैनिकों ने केवल अपने व्यक्तिगत मूल्य तथा मनोबल से दुश्मन के आधुनिक हत्यारों तथा उसकी बड़ी-बड़ी सेनाओं को मात दी ! आज के युग में बढ़ते उपभोक्तावाद के कारण समाज के नैतिक मूल्य बिकाऊ हो गए हैं जिनके कारण तरह तरह के अनैतिक कृत्य जैसे चारित्रिक पतन भ्रष्टाचार तथा अपराध आम हो गए हैं ! इसी कारण देश की नौकरशाही तथा पुलिस व्यवस्था मैं आई विकृतियों को देखते हुए फिल्म निर्माता भारतीय सेना को भी उसी प्रकार दिखाने का प्रयास करते हैं !परंतु यह भारतीय सेना का उचित चित्र नहीं है ! देश के विभिन्न क्षेत्रों में आए बदलाव के बावजूद भी सेना सीमा पर दुश्मन को किसी प्रकार का मौका नहीं दे रही है !यह उनके उच्च नैतिक मूल्यों तथा मनोबल का सबूत है !अक्सर फिल्म निर्माता दावा करते हैं कि वह समाज का वही चित्र दिखाते हैं जो समाज में चल रहा है परंतु यह भारतीय सेना के लिए सही नहीं है भारतीय सेना के मूल्यों में उस प्रकार का पतन और गिरावट नहीं आई है जैसे कि देश के अन्य क्षेत्रों में देखने को मिलती है !सेना देश की सुरक्षा की आखिरी दीवार होती है इसलिए फिल्म निर्माताओं को सेना के सबसे बड़े हथियार उनके मनोबल को मजबूत करने में सहयोग देना चाहिए और यह सहयोग वह सेना का अपनी फिल्मों में सही चित्रण करके दे सकते हैं ! इससे देश की युवा पीढ़ी को भी उचित मार्गदर्शन प्राप्त होने के साथ-साथ यह पीढ़ी आगे बढ़कर भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने आप को स्वयं प्रस्तुत करेंगी !अक्सर पश्चिमी देशों में वहां की सेनाओं में सरकार को अपने देशवासियों को कानून के द्वारा भर्ती करना पड़ता हैं परंतु हमारे देश में देश के नौजवान स्वयं को सैन्य सेवा के लिए स्वयं अर्पित करते हैं !यह अंतर सेना की छवि के के कारण ही है !
सेना में सेवा केवल आजीविका का साधन मात्र नहीं है बल्कि एक सैनिक के लिए यह पूरा जीवन होता है ! इसलिए सैनिक प्रशिक्षण में हथियारों तथा सेना की कार्यप्रणाली की सिखलाई से पहले एक सैनिक को आदर्श नैतिक तथा चारित्रिक मूल्यों की परिभाषा समझाई जाती है तथा इन मूल्यों को उसके अंदर कूट कूट कर भरा जाता है ! जिसकी झलक उसके व्यवहार में पूरे जीवन में नजर आती है ! इन्हीं मूल्यों के आधार पर उसके अंदर देशभक्ति की भावना जागृत होती है जिसके द्वारावह हर हालात में देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए प्रस्तुत रहता है ! इसके उदाहरण 1947 से लेकर आज तक की गलवान घाटी में भारत के सैनिकों ने दिए हैं ! जैसा की सर्वविदित है आजादी के समय भारत में गरीबी तथा पिछड़ापन चारों तरफ फैला हुआ था ! इसलिए देश की सरकारों ने उस समय इन समस्याओं को सुलझाने का पूरा प्रयास किया तथा रक्षा बजट पर इतना धन उपलब्ध नहीं कराया जितना आवश्यकता थी ! इस कारण सेना को आधुनिक हथियार तथा साजो सामान उपलब्ध नहीं हुआ !भारतीय सेना की इस स्थिति को देखते हुए 1962 में चीन ने लद्दाख क्षेत्र में भारत पर अचानक हमला कर दिया ! जिसमें भारतीय सैनिकों ने केवल पुरानी बोल्ट एक्शन राइफल से चीन के आधुनिक हथियारों का मुकाबला कियाइसका उदाहरण है रेजांगला के युद्ध में मेजर शैतान सिंह औरउनके साथी 120 सैनिकों ने चीन के 5000 सैनिकों का मुकाबला करके चीन के 1300 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था ! उस समय भारतीय सैनिकों के पास शून्य से नीचे तापमान में रहने के लिए ना तो गर्म कपड़े थे और ना ही ऐसे क्षेत्रों में प्रयोग किए जाने वाले विशेष साधन उपलब्ध थे ! परंतु फिर भी भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना का मुकाबला किया !
भारतीय सेना की इसी स्थिति को देखते हुए 1965 में पाकिस्तान ने भी कश्मीर को हथियाने के लिए भारत पर हमला करने की योजना बनाई ! इससे पहले पाकिस्तान ने अमेरिका से बहुत सी सैनिक संधियों जैसे नाटो इत्यादि में शामिल होकरउससे आधुनिक नए लड़ाकू विमान और पैटर्न टैंक तथा अन्य साजो सामान ले लिया था ! इस प्रकार पाकिस्तानी सेना सोच रही थी कि भारतीय सेना अपने पुराने सरमन टैंक छोटे से लड़ाकू नेट हवाई जहाजों तथा हथियारों से उसका सामना नहीं कर पाएगी और वह भी अक्साई चीन की तरह कश्मीर को हथिया लेगा ! परंतु 1965 के भारत पाक युद्ध में पूरे विश्व ने देखा कि किस प्रकार भारत के छोटे से नेट विमानों ने दुश्मन के बड़े बड़े विमानों के छक्के छुड़ाए तथा उन्हें मार गिराया !इसके लिए भारत सरकार ने वायु सेना के बहादुर पायलट निर्मलजीत सिंह सेखों को मरणो उपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया था ! इसी प्रकार सेना के हवलदार अब्दुल हमीद की वीरता की कहानी को कभी नहीं भूला जा सकता है ! पंजाब के अमृतसर के पास खेमकरण सेक्टर में पाकिस्तान सेना की पूरी आर्मर्ड डिविजन ने 120 टैंक के साथ इस क्षेत्र में हमला कर दिया था ! जबकि भारतीय सैनिकों के पास वही पुरानी आरसी एल तोपे थी जिनसे उन्हें पाकिस्तान की इस सेना का मुकाबला करना था ! हवलदार अब्दुल हमीद ने अपने युद्ध कौशल और पराक्रम से पाकिस्तान के 10 टैंकों को चुन-चुन कर बर्बाद किया और उसके साथ साथ यह देखा गया कि जैसे ही पाकिस्तानी टैंक में अब्दुल हमीद गोला दाग थे उसी समय उसके आसपास के टैंक पर सवार पाकिस्तानी सैनिक अपने चालू टैंकों को छोड़ कर के भाग जाते थे !
क्योंकि पाकिस्तानी सैनिक आग में जलकर मरने को दोजक की आग में जलकर मरने के बराबर समझते हैं ! परंतु भारतीय सैनिक देश पर हर स्थिति में अपनी जान न्योछावर करने के लिए तैयाररहते है ! इस प्रकार खेमकरण के इस क्षेत्र में पाकिस्तान के पूरे 120 टैंक बर्बाद हुए तथा बाद में इस क्षेत्र को टैंक नगर के नाम से पुकारा जाता है ! खेमकरण के इस युद्ध को सैनिक इतिहास में असल उत्तर के नाम से पुकारा जाता है क्योंकि यह पाकिस्तान को उसी की भाषा में उत्तर था ! यही सब कुछ 1971 के बसंतर युद्ध में 21 साल के लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल ने उसी प्रकार पाकिस्तानी टैंकों को बर्बाद करते हुए अपनी पोजीशन की रक्षा की थी ! इस युद्ध में अरुण खेत्रपाल के टैंक में पाकिस्तानी गोला लगने के कारण उसका इंजन खराब हो गया था ! जिसके कारण वह चारों तरफ से पाकिस्तानी सेना से गिर गए थे ! इस स्थिति में उन्हें आदेश मिला कि वह अपने टैंक को छोड़कर पीछे आ जाएं परंतु उस बहादुर सैनिक ने रेडियो पर संदेश वापस दिया की टैंक का इंजन ही तो खराब हुआ है इसकी गन तो अभी काम कर रही है ! और उसके द्वारा खेत्रपाल ने पाकिस्तान के बहुत से टैंक बर्बाद करके उसके हमले को नाकाम किया ! इसी तरह का उदाहरण कारगिल युद्ध में भी उस समय देखने में आया जब इस युद्ध के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा ने वहां की टाइगर चोटी पर हमला करते हुए कहा था कि या तो चोटी पर तिरंगा फेरा कर लौटूंगा नहीं तो तिरंगे में लौट कर वापस आऊंगा !
शायद एकता कपूर ने सेना की कार्य शैली को भी उसी प्रकार समझने की कोशिश की जिस प्रकार समाज में बढ़ते उपभोक्ता बाद तथा गिरते नैतिक मूल्यों के कारण चारों चारों ओर तरह-तरह के अनैतिक कार्य हो रहे हैं ! परंतु वह यह भूल गई कि जिस प्रकार अन्य क्षेत्रों में तरह-तरह की शैक्षिक योग्यताएं जैसे बीटेक एमबीबीएस इत्यादि जरूरी है उसी प्रकार एक सैनिक के लिए ऊंचा चरित्र तथा नैतिक मूल्य होते हैं ! जिनके द्वारा ही वह एक अच्छा सैनिक बनकर देश पर अपना सर्वस्व हर तरह की स्थिति में न्योछावर करने के लिए तैयार रहता है ! जैसा कि अभी कुछ दिन पहले देश ने देखा कि 19000 फुट की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख की गलवान घाटी में शून्य के नीचे तापमान में भारतीय सैनिकों ने निहत्थे ही चीनी सैनिकों का मुकाबला किया तथा चीन के 50 से ज्यादा सैनिकों को मौत के घाट उतार दियाथा तथा चीन को कड़ा संदेश दिया कि भविष्य में भारतीय सीमा मैं घुसने का साहस न करें ! ऐसी विषम परिस्थितियों में सैनिक को केवल उच्च चरित्र तथा नैतिक मूल्य ही उसे ऐसा आत्मबल देते हैं जिनसे वह हर परिस्थिति में दुश्मन का मुकाबला करने में सक्षम होता है !